लद्दाख की बंद डिबिया जांसकर में पहुंचने वाले योरापिय समूह दर समूह हैं।
2.
अबरहा इससे क्रोधित हुआ और कहने लगा कि जब तक काबा है हमारे गिर्जाघर की ज़ियारत करने कोई नहीं आएगा, आवश्यक है कि काबा को गिरा दिया जाए ताकि लोग मायूस हो और समूह दर समूह लोग हमारे गिर्जाघर आने लगें.
3.
गुरोह दर गुरोह (समूह दर समूह) सामित व साकित (मौन व स्थिर) ईस्तादा व सफ़बस्ता (पंक्तिबद्ध खड़े) अम्रे इलाही (अल्लाह के आदेश) की तरफ़ बढ़ते हुए और अपनी जाए बाज़ गश्त (पलट कर जाने का स्थान) की जानिब दौड़ते हुए, निगाहे क़ुदरत उन पर हावी (सर्वशक्तिमान की दृष्टि उन पर व्याप्त) और पुराने वाले की आवाज़ उन सब के कान में आती हुई होगी।